शनिवार, 5 मार्च 2011

Chand Ashaar Bachpan Ke

१. इस जहाँ को सच न समझना, ये झूठा फ़साना है.
इसे जन्नत न समझ लेना, ये गम का आशियाना है.  
२. इस चमन में शूल  हैं तो फूल  भी.
ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ सिर्फ धुल ही.
३. पुकारता तेरा वतन, ऐ मेरे लाखतेजिगर,
बचाले मेरे आबरू को तूं सर्वस्व त्याग कर.
४. मैंने खता न की, किसी और ने की होगी.
आप नाराज़ हैं ऐसे जैसे मैं ही गुनाहगार हूँ.
५. खुद तो दरिया में कूद कर आगे निकल गए.
मुझे  अकेले ही भंवर में डूबने को छोड़ दिया.
6. ऐ खुदा, अपने बन्दों को नज़रंदाज़ न कर,
नहीं तो इस जहाँ में तेरा आशिक कौन होगा.
७. गम छुपा कर हँसते हुए पेश आते हैं सभी,
ऐसा कोई नहीं जिसने अश्क बहाया न होगा.
८. आप चाहें न चाहें मैं तो चाहूँगा आपको.
 दिल टूट भी गया इस नाचीज़ का तो कोई बात नहीं.
९. करके गुनाह ऐसा, अपने को पाक न समझो,
चिलमन के अन्दर हो नहीं शीशे के अन्दर बैठे हो.
१०. इस खुद्पराशत जहाँ में मुहब्बत तलाश न कर,
तेरा वजूद भी मिट जायेगा दास्ताँ बन कर.
११. अश्क कहती है वे बातें जो मैं कहना न चाहता हूँ,
मैं गम छुपाता हूँ , वे नयनों में छलक आते हैं.
१२. गिला है जिंदगी से मौत, ये बयां करता हूँ तुझे,
सिने में दफ़न दर्द उभर कर  सामने आ जाता है.
१३. बयां न कर सकूँगा दिल की दास्ताँ, बुरा न मानिये.
नयनों में छिपे सैलाब को देखे और जानिये.
१४. तड़प रहा है दिल कहीं मचल रही है आरज़ू.
तुम्हारी याद आ रही, जगा रही नई शमां.
१५. फलक के सितारे हो, तो जुदाई से उल्फत क्यों.
जहाँ में आ गए हो तो तन्हाई से नफ़रत क्यों.
१६. इक तरफ बैठ कर गिला लहरों  से न कीजये.
यकीं मानिये, वजूदे लहर होता ही है उठाने के लिए.
१७. गैरों पे रहम करना चाहा अपनो पे सितम ही कर बैठा.
 मुझे मेरा गुनाह बताया तन्हाई का चंद लम्हा.
१८.चंद वसंतों में गम के सिवा कुछ न मिला.
जो मिला वो भी गम को भड़काने को था.
१९. भले ख़ुशी न मिली आपको, मानेगा कौन.
अंजुमन में आकर कहें की हुस्न के खातिर न आया था.
२०.किसी की याद में ऐ में दिल कभी तो रो लिया करो.
अज्म ताज़ा रहे,कसक उठती रहे, मुस्तकिल भुलाना भी चाहूँ.
२१. ख्वाहिश तो थी तुझे जन्नत की ख़ुशी दे दूँ.
मगर में दामन में अश्कों के सिवा कुछ भी नहीं.
२२. तमाम जम छलक न उठे एक छलकते जाम देख कर.
इस लिए तमाम दर्द दिल में दफ़न कर देता हूँ.
२३. जिस गुलितान को मैंने सींचा उसके गुल ने नहीं पहचाना मुझे.
ये खता गुल की नहीं, मेरी बदकिस्मती थी, जो हरदम नीला मुझे.
२४.गैरों ने दोस्ती निभाई उसका मिसाल क्या दूँ,
हर नस्तर जो चुभा, आपनो से में वफ़ा का सिला था.
२५.मैंने हजारों हवाएं देखी, हर तरह की आंधी देखी.
गम का हर तूफान गुजर जाता है, चंद सिकवा के साथ.
२६. बदल जाता है नज़ारा हर एक तूफान के बाद.
किस्मत बनाते हैं बिगरते हैं, चंद  घड़ियों के साथ.
२७.जहाँ के सामने मैं भले तेरी तस्सव्वुर न करता हूँ.
 तन्हाई के हर घडी मैं तेरी सजदे में होता हूँ.
२८.तू जानता है सब कुछ, क्या बताऊंगा तुम्हे,
हर लम्हा जो गुजरने वाला है , तेरी ही अमानत है.
२९.दिल-ऐ- अंजुमन का गुलिंस्ता तेरी खिदमत में पेश करता हूँ,  
हर गुल से मेरी वफ़ा, मेरी तमन्ना, मेरी ख्वाहिश की खुशबु आएगी.
३०.ऐ गुज़ारे हुए मंज़र तू अक्सर याद आते हो,
तन्हाई के लम्हों में तुझसे बेहतर कोई और नहीं होता.
३१. तेरी तारीफ करूँ या गिला, कोई कम तो नहीं चंद लम्हों को बहलाना.
कभी खुशियों का सेहरा बांध जाते हो, कभी दिल तोड़ जाते हो.
३२.




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